तो बचा क्या देश का ?

नमक टाटा का
भाजी - तरकारी अम्बानी और मोदी का
पानी कोई ओर बेचे
तो बचा क्या देश का ?
जमीं बेचीं
जंगल बेचा
रहा क्या देश का ?
सामान बिका
तुम भी बिके
दुकान अब कौन चलाएगा ?
इतिहास तुमने बदल दिया
भूगोल तुमने
बिगाड़ दिया
अब बचा क्या पढने को ?
जो निकले थे
बिद्रोह पर
तुमने उनको कुचल दिया
अब नई क्रांति लायेगा कौन ?
कहाँ से सीखी
तुमने यह कला
अब हमें बतायेगा कौन ?

Comments

Popular posts from this blog

मुर्दों को इंसाफ़ कहाँ मिलता है

तालाब में चुनाव (लघुकथा)

रंजना भाटिया जी द्वारा मेरी किताब की समीक्षा